गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

रामपुर तिराहा काण्ड के जरिये मुलायम पर प्रहार


नये सिरे से तलाशे जायें इस घटना के दोषी: लोकमंच


लखनऊ, 13 अक्तूबर: 

राष्ट्रीय लोकमंच ने गुरुवार को यहां समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर प्रहार किया। 17 वर्ष पुराने रामपुर तिराहा काण्ड के जरिये उनकी लोहिया भक्ति और समाजवाद को सवालों के घेरे में खड़ा करने की कोशिश की। लोकमंच ने रामपुर तिराहा काण्ड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में मांग की कि इस काण्ड की नये सिरे से जांच हो, दोषियों को गिरफ्तार किया जाये, और पीड़ित परिवारों की सहायता की जाये। अपने नेता अमर सिंह की पुरानी पार्टी और उनके ‘बड़े भाई’ पर इस हमले की वजह जो भी हो, पर इस काण्ड की तुलना जलियांवाला बाग काण्ड और मुलायम की तुलना लोगों पर गोली चलवाने वाले जनरल डायर से करके लोकमंच ने आने वाले दिनों में सियासी घमासान के संकेत दे दिये हैं। 
इस कार्यक्रम में प्रदेश सचिव नैमिष प्रताप सिंह ने कहा कि कहा गया कि मानवता को शर्मसार करने वाले रामपुर तिराहा काण्ड की काली रात बीते 17 वर्ष हो चुके हैं, पर शहीदों को अब तक न्याय नहीं मिला है। पृथक उत्तराखण्ड की मांग को लेकर जब दिल्ली में 2 अक्टूबर को होने वाली रैली में भाग लेने के लिए आंदोलन 36 बसों से दिल्ली जा रहे थे तब यह घटना हुई थी। दो घंटे तक चला दमनचक्र छह लोगों की जान लेकर रुका। 17 व्यक्ति घायल हो गये और चार महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ। 
उन्होंने कहा कि यह काण्ड तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार के इशारे पर रामपुर तिराहा हत्याकाण्ड हुआ। मुलायम खुद को डा. राम मनोहर लोहिया का अनुयायी कहते हैं। हालांकि डा. साहब निहत्थे सत्याग्रहियों पर बलप्रयोग को नाजायज मानते थे। 17 वर्ष बीत जाने के बाद भी रामपुर तिराहा काण्ड के दोषियों को सजा न मिलना न्याय प्रणाली पर सवाल उठाता है। उन्होंने चिपको आन्दोलन के नेता मैगसेसे पुरस्कार विजेता चण्डी प्रसाद भट्ट के हवाले से इस काण्ड की तुलना जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड से की और कहा कि जनरल डायर को तो वीर ऊधम सिंह ने सजा दे दी, पर रामपुर तिराहा काण्ड के लिए अप्रत्यक्ष रूप से सबसे बडे़ दोषी मुलायम लोकतंत्र की विकृतियों के चलते खुले घूम रहे हैं।
बैठक को एम.एच. खान, रामबाबू द्विवेदी, संजय सिंह, नितिन अग्रवाल, अभय सिंह ने भी संबोधित किया।

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