शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

हमारी सरकार बनाओ, ‘सच्चर’ और ‘रंगनाथ’ पाओ


क्रासर: हमने लड़ी लड़ाई, बसपा की हमदर्दी झूठी: अखिलेश
क्रासर: चुनावी बयार में मुसलमानों को ‘समाजवादी लॉलीपॉप’
क्रासर: महंगाई, और भ्रष्टाचार में कांग्रेस-बसपा में साझेदारी


अशोक कुमार सिंह
लखनऊ, 15 अक्तूबर: 
       आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति में समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम मतदाताओं को अभी से अतिरिक्त तवज्जो देनी शुरू कर दी है। जब से बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष व मुख्यमंत्री मायावती ने पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण के लिए प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है, सपा नेताओं के भाषणों में उनकी पिछली सरकार द्वारा मुसलमानों के हित में चलायी गयी योजनाओं और गैर सपा सरकारों में मुस्लिमों की उपेक्षा का मसला अनिवार्य तौर पर शामिल रहता है। पार्टी मीडिया को यह बताने में भी नहीं चूकती कि राष्ट्रीय  अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के कार्यक्रमों और दौरों में उनका स्वागत करने वालों की भारी भीड़ में बड़ी संख्या में मुसलमान भी शामिल थे। बुर्कानशीन महिलाओं पर खास जोर रहता है।  
       समाजवादी क्रान्तिरथ से अलग-अलग जिलों को मथने निकले सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव इस समय ‘बसपा को फटकार और मुस्लिमोें को पुचकार’ का रास्ता अपनाये हुए हैं। पांचवें चरण के तीसरे दिन शनिवार को बदायूं के चार विधानसभा क्षेत्रों में दिये गये उनके भाषण भी अपवाद नहीं रहे। उन्होंने कहा कि बसपा सरकार में मुस्लिमों की सबसे ज्यादा उपेक्षा हुई है। मुख्यमंत्री मुस्लिमों के आरक्षण के लिए केन्द्र को चिट्ठी लिखकर झूठी हमदर्दी जताती हैं। उन्हें सचमुच हमदर्दी होती तो विधानसभा में प्रस्ताव पारित करातीं। 
       सच्चर कमेटी की सिफारिशों को हथियार बनाते हुए उन्होंने कहा, सच्चर कमेटी ने माना है कि मुस्लिम बहुत पिछड़े हैं। गरीबी और बेरोजगारी के मारे हैं। कांग्रेस ने भी उनसे दगा किया और सच्चर कमेटी तथा रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिशें लागू नहीं कीं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इन सिफारिशों में उल्लेखित मुस्लिम हितों के कार्यो को हम लागू करेंगे। साथ ही उन्होंने एक शर्त रख दी- पहले सपा की सरकार बना दो। 
अखिलेश ने कहा कि मुस्लिमों के मुद्दों पर संसद और विधान सभा के अन्दर-बाहर सपा ही लड़ाई लड़ती है। सपा अकेली पार्टी है, जिसने हिन्दू मुस्लिम खाई पाटने का काम किया है। जब उनके सम्मान की बात आयी सपा ने ही उनका साथ दिया। हाईकोर्ट ने जब आस्थापरक निर्णय दिया तो मुस्लिमों के कानूनी हक के पक्ष में मुलायम सिंह यादव ने ही सबसे पहले आवाज उठायी थी। उन्हांेने याद दिलाया कि सपा की सरकार में मुस्लिमों और उर्दू भाषा को पूरा महत्व दिया गया था। पुलिस, पीएसी में 14 प्रतिशत मुस्लिमों की भर्ती की गयी। उर्दू पढ़े-लिखे लोगों को नौकरी दी गयी। बसपा सरकार ने मुस्लिमों के कल्याण की तमाम योजनाएं, जो सपा के कार्यकाल में शुरू की गयी थी, समाप्त कर दी हैं। 
       यादव ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में केन्द्र की कांग्रेस और प्रदेश की बसपा में साझेदारी है। दोनों एक दूसरे की मददगार हैं। मुख्यमंत्री कांग्रेस को समर्थन दे रही हैं और बदले में कांग्रेस राज्य में बसपा सरकार के काले कारनामों की अनदेखी कर रही है। प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। सरकारी खजाने की लूट हो रही है। सत्ता का ख्ुाला दुरुपयोग हो रहा है। प्रशासन बेलगाम है। ऐसी बुरी हालत प्रदेश में कभी नहीं देखी गयी। सपा की सरकार बनने पर भ्रष्ट मंत्रियों, अधिकारियों की खैर नहीं। मुख्यमंत्री को भी अपने किये का हिसाब देना होगा और लूट-वसूली तंत्र पनपाने के लिए सजा भी भुगतनी होगी। 

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