गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

क्या खेलती है सोनू?



वालीबाल, फुटबाल, एथलेटिक्स या कुछ और...?
अशोक कुमार सिंह
यूं तो यह खबर पुरानी हो गयी है कि किस तरह लखनऊ से दिल्ली जाते हुए बरेली के निकट ट्रेन से सोनू उर्फ अरुणिमा सिन्हा नाम राष्ट्रीय स्तर की वालीबॉल, फुटबाल खिलाड़ी और / या  एथलीट को चेन लुटेरों ने ट्रेन से फेंक दिया। उसे पहले लखनऊ में मेडिकल विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेण्टर और फिर नई दिल्ली में एम्स के ट्रॉमा सेण्टर में भर्ती कराया गया। उसके लिए हरभजन सिंह और युवराज सिंह जैसे खिलाडिय़ों, रेलवे और प्रदेश सरकार समेत कई ओर से आर्थिक मदद की घोषणा होने लगी। ठीक होने पर नौकरी की बात भी बन गयी। हाईकोर्ट ने मुआवजे में पांच लाख रुपये देने का आदेश दिया। बताया गया कि यह घटना 11 अप्रैल को तब हुई जब सोनू सीआईएसएफ में भर्ती के लिए पद्मावत एक्सप्रेस से दिल्ली जा रही थी।
ट्रेन की रफ्तार 8 किमी
यह खबर भी पुरानी पड़ गयी है कि घटना के बाद एक गुमनाम चिट्ठी भेजकर सोनू के परिवार वालों की बीती जिन्दगी के स्याह पहलू उजागर किये गये थे। सोनू के बयान और जांच के दौरान मिले तथ्य भी कुछ और ही चुगली करते नजर आये। सोनू ने कहा था कि उसे तेज रफ्तार से चल रही ट्रेन से फेंका गया था, जबकि पुलिस का कहना है कि जहां सोनू गिरी वहां ट्रेन की रफ्तार 8 किमी थी।
चेन पर्स में
सोनू ने बयान दिया था कि उससे चेन छीनने के लिए धक्का दिया गया था, पर चेन और 1700 रुपए उसके पर्स में ही थे। उसका मोबाइल ट्रैक पर बिखरा मिला था। उसने सिम गायब होने की बात की थी, जबकि उसने मोबाइल से बात की थी।
ट्रेन 9.46 बजे, टिकट 11 पर 
बहरहाल, सोनू ने जिस पद्मावत ट्रेन के जनरल डिब्बे में सफर करने की बात कही वह लखनऊ से रात 9.46 बजे छूट गयी थी, जबकि सोनू  के पास से मिला टिकट रात 11.01 बजे खरीदा गया था। सोनू ने 11 अप्रैल को फैजाबाद से लखनऊ में अपनी बहन के घर पहुंचने और रात दस बजे तक वहीं रहने की बात कही है। इसके बाद उसने नोएडा के लिए ट्रेन से सफर शुरू करने और  सफर में उसके द्वारा अपने मोबाइल फोन से कोई कॉल न करने का बयान दिया था, जबकि कॉल डिटेल कुछ और कह रहा है। जांच में सोनू द्वारा बहन के घर बतायी गयी अवधि में से बड़ा वक्त लखनऊ में किसी और स्थान पर व्यतीत करने की बात सामने आयी है। जब वह 10 बजे तक बहन के घर थी तो 9.46 बजे छूटने वाली ट्रेन में कैसे बैठ गयी?
रिश्तेदारों का दागदार अतीत
शुरुआती जांच में सोनू की मां ज्ञानबाला, बहन, भाई राहुल सिन्हा, जीजा ओमप्रकाश त्रिपाठी पर पूर्व में हत्या, ठगी, जैसे आरोप में मुकदमा दर्ज होने व इनके गिरफ्तार होने की बात सामने आयी है। साथ ही सोनू के पिता हरेंद्र कुमार सिन्हा व एक भाई की मौत, हत्या से होने की जानकारी हासिल हुई है।
कितनी बड़ी खिलाड़ी?
जिला मुख्यालय अंबेडकरनगर के जुड़वा कस्बे शहजादपुर के मुहल्ला पंडाटोला निवासिनी ज्ञानबाला सिन्हा की छोटी पुत्री सोनू ने 2003 में अंबेडकरनगर जिला मुख्यालय के जीजीआईसी में कक्षा 11 में प्रवेश लिया। प्रधानाचार्या तारा वर्मा ने बताया कि अरुणिमा पढ़ाई-लिखाई में औसत दर्जे की थी। वह 12वीं में फेल हो गयी थी। विद्यालय की अध्यापिका नरगिस अंजुम ने बताया कि विद्यालय की टीम मंडल स्तर पर फुटबॉल खेलने गयी थी। उस टीम में अरुणिमा थी। इसके अलावा उसकी कोई अन्य खेल गतिविधि नहीं रही। जीजीआइसी में कक्षा 12 फेल होने के बाद अरुणिमा ने सरदार पटेल स्मारक विद्यालय लारपुर में दाखिला लिया। यहीं से उसने इंटर तथा बीए उत्तीर्ण किया। विद्यालय के प्रबंधक कमला वर्मा ने बताया कि अरुणिमा ने विद्यालय की किसी भी खेल प्रतियोगिता में हिससा नहीं लिया। उन्होंने अरुणिमा के वालीबॉल की राष्ट्रीय खिलाड़ी होने पर हैरत भी जतायी। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 2002 में आयोजित अंतर्विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में भाग लेने का दावा करने वाली सोनू ही जानती होगी कि हाईस्कूल की एक छात्रा इस प्रतियोगिता में कैसे शामिल हो गयी? इस सवाल को छोड़कर कि वह किस खेल की खिलाड़ी है, सोचिए कि उसकी बातें झूठी हुईं तो सरकार और निजी व्यक्तियों द्वारा आर्थिक मदद, नौकरी के आश्वासनों का क्या होगा? सचाई के लिए जांच के नतीजों का इंतजार करिये...।

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